सरस्वती माँ पर दुर्मिल सवैया
सरस्वती माँ पर दुर्मिल सवैया
जब मात कृपा मिलती जिसको ,वह सुंदर मानव ही बनता।
बिन मातृसुधा मन धूमिल है,नहिं मानव विज्ञ कभी दिखता।
जब मातृ सुपूजित हो हिय से, तब ज्ञान पिपास सदा बुझता।
जब माँ चरणामृत भोग मिले, तब बुद्धि-विवेक सदा खिललता।
चढ़ हंस सदा चलती ममता, प्रिय मातृ सदा शुभदायक है ।
सबको सिखलावत ज्ञान -विराग, शुभाश्रय भावविनायक है।
लिख ग्रन्थ सदा मनमोहक भाव, दिखावत राह सुनायक है।
लिखती रहती शिव गीत सदा, अति भावप्रधान सुगायक है।
रचना करती अति मोहक सी, सबके मन को अति भावत है।
यह लोक पढ़ा करता कृति को,कर याद सदा हिय गावत है।
बसती जिसके उर में ममता,प्रिय मात वही सब पावत है।
जब शारद मात कृपा करतीं,तब मातृ गृहे जग आवत है।
Renu
25-Jan-2023 03:53 PM
👍👍🌺
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